
महराजगंज में किसानों की दोहरी मार – न बारिश, न खाद; सीमापार भेजी जा रही भारतीय खाद :
महराजगंज ;
जिले में एक तरफ मानसून की बेरुखी ने किसानों की उम्मीदों को सूखा दिया है, तो दूसरी ओर सरकारी व्यवस्था की ढिलाई ने खाद की उपलब्धता को भी संकटग्रस्त बना दिया है, किसान दोहरी मार झेल रहे हैं—न खेतों को पानी मिल पा रहा है, न ही फसलों को खाद।
स्थिति यह है कि जो खाद जिले में आती है, वह भी रहस्यमयी ढंग से नेपाल पहुंच रही है, सीमावर्ती इलाका होने का लाभ उठाकर खाद माफिया भारतीय किसानों के हिस्से की उर्वरक चोरी-छिपे बॉर्डर पार करवा रहे हैं, और इधर, महराजगंज का किसान—अपने सूखे खेत और खाली बोरी लेकर बस इंतजार करता रह जाता है।
लाइन में चप्पलें, उम्मीद में किसान :
खाद वितरण केंद्रों पर हालात चिंताजनक हैं, लोग आधी रात से ही कतार में खड़े हैं, कहीं चप्पलें लाइन में लगी हैं तो कहीं महिलाएं बच्चों को गोद में लेकर भीषण गर्मी में इंतजार कर रही हैं कि शायद दो बोरी खाद मिल जाए।
सिस्टम की ‘सामान्यता’ और किसानों की पीड़ा :
जब पत्रकारों ने जिला कृषि अधिकारी से बात की तो जवाब मिला—”सब कुछ सामान्य है” सवाल उठता है कि अगर सब कुछ सामान्य है, तो फिर किसान बेहाल क्यों हैं? खेत सूख रहे हैं, वितरण केंद्रों पर अफरा-तफरी है, फिर भी जिम्मेदार अधिकारी हालात को सामान्य बताते हैं।
जमीन बचाने की जद्दोजहद :
किसानों की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब उन्हें अपनी ही जमीन पर खेती जारी रखने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है, आसमान से बरसात गायब है और जमीन से सरकारी भरोसा, किसान न सिर्फ फसल, बल्कि भविष्य को भी सूखते हुए देख रहा है।
प्रशासन का दावा और कार्रवाई :
इस बीच महराजगंज के जिलाधिकारी ने कहा है कि जिले में खाद की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी, अवैध तस्करी और बिचौलियों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है और जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।
लेकिन बड़ा सवाल यही है—कब जागेगा सिस्टम?
और कब तक किसान इंतजार करता रहेगा?