नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के नए परिसर को अब ‘सेवा तीर्थ’ के नाम से जाना जाएगा, यह निर्णय केंद्र सरकार द्वारा शासन में ‘जनसेवा’ और ‘कर्तव्य’ की भावना को सर्वोपरि रखने के प्रयासों के तहत लिया गया है।
‘सेवा तीर्थ’ नामकरण का उद्देश्य :
‘सेवा तीर्थ’ का शाब्दिक अर्थ है “सेवा का पवित्र स्थान”, इस नामकरण के पीछे सरकार का स्पष्ट संदेश है कि सत्ता का सर्वोच्च केंद्र अब विशेषाधिकार या विलासिता का प्रतीक नहीं, बल्कि देश के नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी और समर्पण का केंद्र होगा।
नाम का अर्थ: सेवा का पवित्र स्थान।
परिसर: सेंट्रल विस्टा के एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव में नवनिर्मित PMO भवन।
प्रतीक: यह बदलाव जनसेवा और संवैधानिक कर्तव्य के प्रति सरकार के संकल्प को दर्शाता है।
राजभवन भी बने ‘लोकभवन’ :
PMO के परिसर के नाम बदलने के साथ ही, देशभर के राजभवन (Governor’s House) का नाम भी बदलकर ‘लोकभवन’ कर दिया गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश पर यह बदलाव तत्काल प्रभाव से लागू किया गया है।
राजभवन \ लोकभवन:
यह परिवर्तन राजशाही और औपनिवेशिक मानसिकता के प्रतीकों को हटाकर, जनता और लोकतंत्र को केंद्र में लाने की दिशा में एक और कदम है। ‘लोकभवन’ का अर्थ है ‘जनता का भवन’।
अन्य बदलाव:
इससे पहले, नई दिल्ली के ऐतिहासिक ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ और प्रधानमंत्री के आधिकारिक निवास वाले रेस कोर्स रोड का नाम बदलकर ‘लोक कल्याण मार्ग’ किया जा चुका है।
राजनीतिक और प्रतीकात्मक संदेश :
नामों में यह बदलाव सिर्फ एक प्रशासनिक फेरबदल नहीं है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के शासन मॉडल का एक हिस्सा है, जिसमें ‘सत्ता’ को ‘सेवा’ और ‘अधिकार’ को ‘कर्तव्य’ के रूप में स्थापित किया जा रहा है।
इसका उद्देश्य देश के प्रशासनिक ढांचे को आम जनता के साथ अधिक जुड़ाव और समर्पण का भाव देना है।







