
अमेरिका-ईरान टकराव से वैश्विक अस्थिरता की आशंका, युद्ध की ओर बढ़ते हालात :
अमेरिका द्वारा ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमले ने मध्य पूर्व की स्थिति को बेहद संवेदनशील बना दिया है, राष्ट्रपति द्वारा की गई अपील के बावजूद, ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनाई ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि अमेरिका को इस हमले की भारी कीमत चुकानी होगी।
खामेनाई के बयान के बाद क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमलों की आशंका और बढ़ गई है, ईरान इन ठिकानों को निशाना बनाने के लिए पहले से ही तैयार है, अमेरिका के कुवैत, कतर, बहरीन और यूएई में मौजूद ठिकाने सीधे ईरान की मिसाइल और ड्रोन रेंज में हैं, इन पर हमले की स्थिति में जवाबी कार्रवाई के लिए समय बेहद सीमित होगा।
ईरान की सैन्य नीति अब बदलती हुई नजर आ रही है, जो हथियार अब तक सिर्फ प्रतिरोध के लिए रखे गए थे, वे अब हमले के लिए सक्रिय हो सकते हैं, इस परिदृश्य में यह संभावना भी सामने आई है कि ईरान अब बची-खुची परमाणु तकनीक का इस्तेमाल तेज़ी से हथियार निर्माण के लिए कर सकता है।
ऊर्जा संकट की कगार पर दुनिया :
मिडिल ईस्ट में तनाव का सीधा असर वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर पड़ सकता है, अगर ईरान ने होरमुज जलडमरूमध्य जैसे महत्वपूर्ण मार्ग को बंद करने की कोशिश की, तो दुनिया के बड़े हिस्से को कच्चे तेल की आपूर्ति बाधित हो सकती है, इससे तेल के दाम में रिकॉर्ड वृद्धि और विश्व स्तर पर आर्थिक अस्थिरता आ सकती है।
तेल और गैस के संयंत्रों पर हमले की आशंका भी बनी हुई है, 2019 में सऊदी अरब की अरामको रिफाइनरी पर हुए ड्रोन हमले के बाद वहां का तेल उत्पादन लगभग 50% तक घट गया था, ईरान यदि फिर से इसी तरह की रणनीति अपनाता है, तो इसके दुष्परिणाम वैश्विक अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं।
कूटनीतिक प्रयासों की मांग :
तेजी से बदलते हालात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को चिंता में डाल दिया है, संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ और कई प्रमुख देश स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान या मध्यस्थता की दिशा में पहल सामने नहीं आई है, विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जल्द ही दोनों पक्षों के बीच बातचीत नहीं होती, तो यह टकराव एक पूर्ण युद्ध में बदल सकता है।