
रामप्रकाश सिंह की घरवापसी से समाजवादी खेमा उत्साहित, विपक्ष की बढ़ सकती है चुनौतियां :
फरेंदा: समाजवादी पार्टी द्वारा रामप्रकाश सिंह का निष्कासन रद्द किए जाने और उन्हें दोबारा सक्रिय सदस्यता दिए जाने के फैसले ने जिले की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है, पार्टी ने न सिर्फ उन्हें फिर से संगठन का हिस्सा बनाया है, बल्कि उन्हें संगठन को मजबूत करने की अहम जिम्मेदारी भी सौंपी है, उनकी वापसी को लेकर समर्थकों में भारी उत्साह है, वहीं विरोधी खेमे में हलचल शुरू हो गई है।
कार्यकर्ताओं का मानना है कि रामप्रकाश सिंह जैसे ज़मीनी नेता की वापसी से पार्टी को पंचायत से लेकर विधानसभा चुनाव तक फायदा होगा।

राजनीतिक विरोधियों की रणनीति पर असर :
रामप्रकाश सिंह की छवि एक जुझारू, जनसंपर्क में सक्रिय और प्रभावशाली नेता की रही है, वे लंबे समय तक क्षेत्र की राजनीति में सक्रिय रहे हैं और सभी दलों के नेताओं से व्यक्तिगत संबंध भी रखते हैं, विशेष रूप से कांग्रेस विधायक वीरेंद्र चौधरी को जिनका 2022 में सिंह ने समर्थन किया था, इस घटनाक्रम के बाद स्थानीय समीकरणों को दोबारा साधना पड़ सकता है।
रामप्रकाश सिंह का पक्ष: हमेशा समाजवादी रहा हूं –
रामप्रकाश सिंह ने स्पष्ट रूप से कहा कि वे हमेशा समाजवादी विचारधारा के समर्थक रहे हैं और भविष्य में भी समाजवाद के रास्ते पर चलकर जनता की सेवा करते रहेंगे, उन्होंने कहा –
“2022 में मैंने कांग्रेस का समर्थन किया था, क्योंकि पार्टी से बाहर होने के कारण वह फैसला लिया गया था, लेकिन मेरी आस्था हमेशा समाजवादी पार्टी में रही है, 2017 में भाजपा के पूर्व विधायक विधायक बजरंग बहादुर सिंह द्वारा उनके आवास पर आकर सम्मान करने का जिक्र करते हुए कहा यह महज सामाजिक शिष्टाचार था।

सपा के लिए बड़ा सियासी संदेश :
रामप्रकाश सिंह की वापसी समाजवादी पार्टी के लिए सिर्फ एक पुराने नेता की बहाली नहीं, बल्कि एक बड़ा सियासी संदेश भी है — पार्टी अब पुराने अनुभवों और भरोसेमंद चेहरों को साथ लेकर आगामी चुनावी मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है, इससे कार्यकर्ताओं का मनोबल तो बढ़ा ही है, साथ ही यह संकेत भी गया है कि समाजवादी पार्टी किसी भी स्तर पर संगठन को मज़बूत करने में पीछे नहीं हटेगी।