
इटावा में कथावाचक के साथ हुई घटना पर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती की प्रतिक्रिया:
आजकल कुछ लोग अपनी जाति की पहचान छुपाकर कार्य करते हैं, जो उचित नहीं है,” शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने कहा – उन्होंने कहा, “यदि आप यादव हैं, या जाटव हैं, तो इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन अपनी पहचान छुपाकर किसी धार्मिक कार्य में भाग लेना गलत है।”
शंकराचार्य जी के अनुसार, “शास्त्रों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि सार्वजनिक रूप से वेदों और पुराणों की कथा कहने का कार्य ब्राह्मणों के लिए निर्धारित है, यह कोई भेदभाव नहीं, बल्कि परंपरा और शास्त्रीय व्यवस्था है, जो लोग अन्य जातियों से हैं, यदि वे कथा कहना चाहते हैं, तो उन्हें पहले विधिवत अध्ययन और दीक्षा लेनी चाहिए।”
उन्होंने यह भी कहा कि “जाति के आधार पर नहीं, बल्कि पात्रता और शास्त्रज्ञता के आधार पर ही किसी को धार्मिक मंच देना चाहिए, धर्म के क्षेत्र में पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा आवश्यक है।”