सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर जारी अधिसूचना में प्रयुक्त ‘माइग्रेशन’ शब्द की व्याख्या केवल देश के भीतर के प्रवासन तक सीमित नहीं की जा सकती, बल्कि इसमें सीमा पार होने वाला प्रवासन भी शामिल माना जा सकता है।
यह अवलोकन अदालत ने उन याचिकाओं की सुनवाई के दौरान किया, जिनमें बिहार में जारी SIR प्रक्रिया को चुनौती दी गई है, याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि चुनाव आयोग (ECI) नागरिकता पर संदेह के आधार पर लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाकर उनका मताधिकार छीन रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि SIR कोई नियमित प्रक्रिया नहीं है और बिहार में यह 2003 के बाद पहली बार लागू किया जा रहा है, न्यायालय ने सवाल उठाया कि “क्या चुनाव आयोग मतदाता सूची की शुचिता बनाए रखने के लिए किसी ‘शुद्धिकरण और छंटनी’ की प्रक्रिया नहीं अपना सकता, यदि गड़बड़ियां मिलें तो क्या आयोग को आंख मूंद लेनी चाहिए!





