महराजगंज जिले में लालच और षड्यंत्र की सारी सीमाएँ लांघते हुए एक महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है, मृतका के देवर ने साफ-साफ आरोप लगाया है कि भाभी की संपत्ति हड़पने के लिए उसकी ही ननद और ननद की बड़ी बहन ने मिलकर हत्या की है—लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि पुलिस अब तक मुकदमा दर्ज करने से बच रही है।
संदिग्ध मौत—19 अक्टूबर को हुई घटना, पर जवाबदेही शून्य :
तोलेराम पुत्र बनवारीलाल, निवासी ग्राम गुजरौलिया, थाना बृजमनगंज (महराजगंज) के अनुसार उनकी भाभी सुखनी देवी पत्नी स्वर्गीय सागर की 19 अक्टूबर 2025 को बेहद रहस्यमयी हालात में मौत हुई। मौत के समय सुखनी देवी अपनी बहन किरण देवी के घर ग्राम मैनहवा टोला बनरही, थाना कोल्हुई में थीं, देवर का कहना है—यह हादसा नहीं, बल्कि सुनियोजित हत्या है।
पहले बैनामा–वसीयत, फिर मौत—6 दिन में पूरा खेल?
आरोप बेहद गंभीर हैं, तोलेराम का दावा है कि किरण देवी (पत्नी प्रेम) ने 13 अक्टूबर 2025 को ही सुखनी देवी से जमीन के दो बैनामा और एकतरफा वसीयत सब-रजिस्ट्रार कार्यालय फरेंदा में करवा ली, और ठीक छह दिन बाद 19 अक्टूबर को सुखनी देवी मृत मिलीं।
परिजनों का आरोप है—
“संपत्ति अपने नाम करवाने के बाद ही घर में मारकर फेंक दिया गया।” यह आरोप पूरे मामले को एक खतरनाक साजिश का रूप देता है।
पोस्टमार्टम में चोटों के निशान—फिर भी पुलिस खामोश?
सूचना पर तोलेराम कोल्हुई थाना पहुँचे और मामले की जानकारी दी, सुखनी देवी का पोस्टमार्टम कराया गया जिसमें शरीर पर कई गंभीर चोटों के निशान मिले, विषैले पदार्थ की आशंका पर विसरा सुरक्षित रखा गया है, इसके बावजूद पुलिस मुकदमा दर्ज करने में टालमटोल कर रही है, जिससे परिवार में भारी आक्रोश है।
पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में—थानाध्यक्ष पर सीधा आरोप :
पीड़ित पक्ष का आरोप है कि जब पोस्टमार्टम में चोटें साफ दर्ज हैं, तब भी कोल्हुई थानाध्यक्ष ने हत्या का मुकदमा दर्ज नहीं किया। तोलेराम ने जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक से लेकर डीजीपी और मुख्यमंत्री तक शिकायत भेजी है।
परिजनों का कहना है—
हत्यारों को बचाने की कोशिश हो रही है, पुलिस की निष्क्रियता हमारे घावों पर नमक छिड़कने जैसा है।
रिश्तों को शर्मसार करता मामला—संपत्ति के लिए मौत!
यह पूरा मामला दिखाता है कि किस तरह संपत्ति के लिए रिश्तों की हत्या तक कर दी जाती है, आरोपों की गंभीरता और साजिश की गहराई को देखते हुए यह केस पुलिस की मौजूदा कार्रवाई (या फिर निष्क्रियता) को कटघरे में खड़ा कर रहा है।





