
मुसलमान सड़क पर पैर रखें तो पुलिस पहुंच जाती है – लखनऊ में बोले चंद्रशेखर :
लखनऊ : आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) के प्रमुख और नगीना से सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने शनिवार को मुस्लिम समाज के साथ संवाद कार्यक्रम में सरकार पर गंभीर आरोप लगाए, चौक स्थित कन्वेंशन सेंटर में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि देश में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव हो रहा है और धार्मिक स्वतंत्रता को सीमित किया जा रहा है।

चंद्रशेखर के बयान की प्रमुख बातें :
- “सरकार को कांवड़ से नहीं, मुसलमानों से दिक्कत है”
चंद्रशेखर ने कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान सड़कों पर अवरोध होने के बावजूद किसी को आपत्ति नहीं होती, लेकिन ईद की नमाज़ में यदि मुसलमान सड़क पर कदम रखें तो तुरंत पुलिस पहुंच जाती है, उन्होंने इसे धार्मिक आधार पर पक्षपात बताते हुए असंवैधानिक करार दिया।
- “यह सिर्फ संवाद नहीं, आंदोलन की शुरुआत है”
उन्होंने कहा कि यह कार्यक्रम केवल संवाद नहीं बल्कि आंदोलन की शुरुआत है। “मुस्कुराइए आप लखनऊ में हैं” जैसे नारे अब खोखले लगते हैं, क्योंकि हालात ऐसे हैं कि लोग न मुस्कुरा सकते हैं, न रो सकते हैं, उन्होंने कहा कि संविधान में मिले समानता के अधिकार को अल्पसंख्यकों से छीना जा रहा है।
- “संख्या के अनुपात में हिस्सेदारी मिले”
उन्होंने कहा कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी” के सिद्धांत पर ही पार्टी काम करेगी, शिक्षा, रोजगार और राजनीति में मुस्लिम, दलित और पिछड़े वर्गों को उनके जनसंख्या अनुपात के हिसाब से प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, उन्होंने बताया कि पार्टी के घोषणा पत्र में वक्फ से जुड़े मुद्दों को शामिल किया जाएगा।
- “अब संवाद हुआ है, आगे संघर्ष होगा”
चंद्रशेखर ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार की नकारात्मक राजनीति देश को पीछे धकेल रही है, उन्होंने समर्थकों से अपील की कि भाजपा को हराने से ज़्यादा ज़रूरी आजाद समाज पार्टी को मजबूत बनाना है, उन्होंने इटावा के कथावाचक प्रकरण और धामपुर में दुकानों को बंद कराने की घटनाओं का ज़िक्र करते हुए उन्हें धार्मिक भेदभाव का उदाहरण बताया।
- “अगर संविधान की रक्षा नहीं कर सकते, तो कुर्सी छोड़ दें”
उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि यदि सरकार संविधान के अनुसार अल्पसंख्यकों की रक्षा नहीं कर सकती, तो उन्हें पद छोड़ देना चाहिए, उन्होंने आरोप लगाया कि मुस्लिमों को शिक्षा और रोजगार से वंचित कर ‘शूद्र’ बनाने की कोशिश की जा रही है।

चंद्रशेखर ने इस संवाद को एक व्यापक सामाजिक आंदोलन की शुरुआत बताया और कहा कि आने वाले समय में दलित, पिछड़े और अन्य वंचित वर्गों के साथ संवाद कर यह अभियान और तेज़ किया जाएगा।
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