
सावधान! सस्ते पाउडर दूध के सेवन से सेहत पर पड़ सकता है गंभीर असर :
गोरखपुर से महराजगंज पहुंच रहा नकली दूध, डॉक्टरों ने दी चेतावनी —
महराजगंज ; जिले में मिलावटी दूध के चलन ने आमजन की सेहत पर गंभीर खतरा पैदा कर दिया है, बाजार में तेजी से फैल रहे सस्ते मिल्क पाउडर का उपयोग कर नकली दूध तैयार किया जा रहा है, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो रहा है, विशेषज्ञों का कहना है कि खासकर बच्चों में इससे बीमारियां बढ़ रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह सस्ता पाउडर दूध गोरखपुर से मंगाया जा रहा है, 250 रुपये में मिलने वाले एक पैकेट से करीब 12 लीटर दूध तैयार किया जा रहा है, अधिक मुनाफा कमाने की होड़ में कुछ कारोबारी इसे खुलेआम बेच रहे हैं।
जिले में प्रतिदिन केवल 3000 लीटर शुद्ध दूध का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, जबकि खपत लगभग तीन लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंच गई है, त्योहारों और विशेष अवसरों पर यह मांग चार लाख लीटर तक भी हो जाती है, ऐसे में आपूर्ति और मांग के बीच बड़ा अंतर पैदा हो गया है, जिससे मिलावट का बाजार फल-फूल रहा है।
बाल रोग विशेषज्ञों ने जताई चिंता :
जिला अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार, ओपीडी में आने वाले कई बच्चों की बीमारियों की वजह मिलावटी दूध है, पूछताछ में अभिभावकों ने बताया कि उन्होंने स्थानीय बाजार से सस्ता दूध खरीदा था, चिकित्सकों ने अभिभावकों को केवल उच्च गुणवत्ता वाला दूध इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
मिलावट के पीछे मांग और आपूर्ति का असंतुलन :
जानकारों के मुताबिक, जिले में संचालित 21 डेयरियों और पशुपालकों से कुल मिलाकर प्रतिदिन लगभग दो लाख लीटर दूध ही आपूर्ति हो पा रही है, जबकि एक लाख लीटर की आपूर्ति पाउडर मिलाकर की जा रही है, एक कारोबारी ने बताया कि अच्छी क्वालिटी का पाउडर दूध 600 से 700 रुपये प्रति पैकेट उपलब्ध है, लेकिन उसकी बिक्री कम होती है क्योंकि लोग सस्ता विकल्प चुनते हैं।
पारंपरिक पशुपालन में आई गिरावट :
स्थानीय दूध विक्रेताओं का कहना है कि अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी पशुपालन घटता जा रहा है, पहले हर घर में गाय या भैंस होती थी, लेकिन अब यह परंपरा खत्म हो रही है, वहीं शुद्ध देसी गाय का दूध 60 रुपये और भैंस का दूध 65 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है, जो समय-समय पर बदलता भी है।
जनपद में दूध की मांग के मुकाबले आपूर्ति बेहद कम है, इस अंतर को पाटने के लिए नकली और पाउडर मिलाया हुआ दूध बेचा जा रहा है, जिससे लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, प्रशासन को इस पर सख्ती से निगरानी रखने और आमजन को जागरूक करने की जरूरत है।
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