
शशिधर जगदीशन 1996 से HDFC बैंक के साथ हैं और धीरे-धीरे तरक्की करते हुए 2020 में बैंक के CEO और MD बने।
देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC के मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO शशिधर जगदीशन के खिलाफ वित्तीय धोखाधड़ी के मामले में FIR दर्ज हुई है, मुंबई के लीलावती अस्पताल को चलाने वाले लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट ने ये FIR दर्ज कराई है।
ट्रस्ट का दावा है कि जगदीशन ने उनके एक पूर्व मेंबर से 2.05 करोड़ रुपए लिए, जिसका मकसद ट्रस्ट के एक मौजूदा मेंबर के पिता को परेशान करना था, दूसरी तरफ, HDFC बैंक ने इन आरोपों को “बेबुनियाद और दुर्भावनापूर्ण” बताते हुए खारिज कर दिया है।

लीलावती ट्रस्ट ने जगदीशन और सात अन्य लोगों के खिलाफ मुंबई के बांद्रा थाने में FIR दर्ज कराई है, ये FIR 30 मई 2025 को मुंबई मजिस्ट्रेट कोर्ट के आदेश के बाद दर्ज हुई है, ट्रस्ट का कहना है कि उनके पास पुख्ता सबूत हैं, जिनमें एक डायरी शामिल है।
इस डायरी में कथित तौर पर 14.42 करोड़ रुपए की हेराफेरी का जिक्र है, जिसमें से 2.05 करोड़ रुपए जगदीशन को दिए गए, ट्रस्ट के मौजूदा ट्रस्टी प्रशांत मेहता ने आरोप लगाया है कि ये रकम उनके पिता को परेशान करने के लिए पूर्व ट्रस्टी, चेतन मेहता ने दी थी।
ट्रस्ट ने RBI, SEBI और वित्त मंत्रालय से उनकी तत्काल बर्खास्तगी और कानूनी कार्रवाई की मांग भी की है, ट्रस्ट का कहना है कि जगदीशन ने अपनी पोजीशन का गलत इस्तेमाल किया और सबूतों को दबाने की कोशिश की।
HDFC बैंक बोला- ये बैंक को बदनाम करने की साजिश :-
HDFC बैंक ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा- ये सब लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार की तरफ से बैंक को बदनाम करने की साजिश है।
बैंक का दावा है कि मेहता परिवार ने 1995 में लिए गए एक लोन को चुकाने में डिफॉल्ट किया था, ब्याज समेत ये रकम 31 मई 2025 तक 65.22 करोड़ रुपए हो चुकी है, इस लोन को स्प्लेंडर जेम्स नाम की कंपनी के लिए लिया गया था, जो मेहता परिवार की ही है।
बैंक के मुताबिक, 2004 में डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) ने इस लोन की वसूली के लिए सर्टिफिकेट जारी किया था, लेकिन मेहता परिवार ने इसे चुकाने की बजाय बैंक और इसके सीनियर अधिकारियों के खिलाफ कानूनी शिकायतें कीं।
मेहता परिवार की ये शिकायतें बार-बार खारिज हो चुकी हैं, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में भी, अब ये FIR उनके CEO को टारगेट करने और लोन की वसूली को रोकने की एक और कोशिश है।
HDFC बैंक ने अपने बयान में कहा, “हमारे MD और CEO शशिधर जगदीशन को बिना वजह निशाना बनाया जा रहा है, ये आरोप पूरी तरह से झूठे और दुर्भावनापूर्ण हैं, हम कानूनी रास्तों से इसका जवाब देंगे और अपने CEO की प्रतिष्ठा की रक्षा करेंगे।

कौन हैं शशिधर जगदीशन…?
शशिधर जगदीशन 1996 से HDFC बैंक के साथ हैं, धीरे-धीरे तरक्की करते हुए 2020 में बैंक के CEO और MD बने, इससे पहले वो बैंक के चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर (CFO) रह चुके हैं।
मुंबई में जन्मे और पले-बढ़े जगदीशन ने मुंबई यूनिवर्सिटी से फिजिक्स में बैचलर डिग्री ली और यूके की शेफील्ड यूनिवर्सिटी से मनी, बैंकिंग और फाइनेंस में मास्टर्स किया।
2023 में RBI ने उनकी नियुक्ति को तीन साल के लिए और बढ़ा दिया, जो अब 26 अक्टूबर 2026 तक चलेगी, जगदीशन को बैंकिंग सेक्टर में एक काबिल और सम्मानित लीडर माना जाता है, 2022-23 में उनकी सैलरी 10.5 करोड़ रुपए थी।
लीलावती ट्रस्ट और मेहता परिवार का विवाद :-
लीलावती अस्पताल की स्थापना 1997 में किशोर मेहता ने की थी, बाद में उनके भाई विजय मेहता के परिवार को ट्रस्ट में शामिल किया गया, लेकिन 2002-03 में विवाद तब शुरू हुआ।
आरोप लगे कि विजय मेहता के परिवार ने किशोर मेहता के विदेश में इलाज के दौरान बोर्ड मेंबर्स के जाली हस्ताक्षर कर ट्रस्ट पर कब्जा कर लिया, दोनों भाइयों का अब निधन हो चुका है, लेकिन उनके परिवारों के बीच विवाद आज भी जारी है।
2023 में किशोर मेहता के परिवार ने लंबी कानूनी लड़ाई के बाद ट्रस्ट का कंट्रोल हासिल किया, इसके बाद उन्होंने एक फोरेंसिक ऑडिट शुरू किया, जिसमें ₹1200-₹1500 करोड़ की हेराफेरी और यहां तक कि अस्पताल में काला जादू जैसी गतिविधियों के दावे सामने आए, ट्रस्ट का कहना है कि जगदीशन ने पुराने ट्रस्टियों के साथ मिलकर इन गलत कामों को छिपाने में मदद की।
अब आगे क्या होगा…?
ये मामला अभी शुरुआती स्टेज में है, मुंबई पुलिस इस FIR की जांच कर रही है, और कोर्ट ने पुलिस को और सबूत जुटाने के लिए कहा है, लीलावती ट्रस्ट ने जगदीशन की तत्काल बर्खास्तगी और SEBI-रेगुलेटेड संस्थानों में उनकी भूमिका पर रोक लगाने की मांग की है।
दूसरी तरफ, HDFC बैंक ने साफ कर दिया है कि वो अपने CEO के साथ खड़ा है और इस मामले में हर कानूनी रास्ता अपनाएगा।