सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को देश में बदलते सामाजिक ढांचे को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की, उन्होंने कहा कि पीढ़ियों के बीच कमजोर होते संबंध और बुजुर्गों की देखभाल में कमी आज भारत के सामाजिक ताने-बाने के लिए बड़ा खतरा बनती जा रही है।
जस्टिस सूर्यकांत ने चेतावनी देते हुए कहा कि भारत के सामने “उस पुरानी दुनिया को खोने का जोखिम” खड़ा है, जिसने समाज को मानवीय बनाए रखा था। उन्होंने इसे “सभ्यता में भूचाल” बताते हुए कहा कि समृद्धि के बढ़ने के साथ लोगों के बीच दूरियां भी बढ़ी हैं और रिश्तों की गरमाहट कम हुई है।
अपने संबोधन में उन्होंने कहा—
समृद्धि ने चुपचाप नजदीकियों की जगह ले ली है। नौजवान नई दुनिया में काम करने चले जाते हैं, मगर पीढ़ियों के बीच का दरवाजा बंद हो जाता है।
जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि कभी भारत में वृद्धावस्था को पतन नहीं, बल्कि उन्नयन माना जाता था, परिवार और संस्कृति में बुजुर्ग सदस्य “कथानक की अंतरात्मा” की भूमिका निभाते थे, लेकिन आधुनिकता और बदलती जीवनशैली ने इन पारंपरिक संरचनाओं को कमजोर कर दिया है।
उन्होंने अंत में कहा—
हमने नई दुनिया तो हासिल कर ली, मगर पुरानी दुनिया खोने के कगार पर हैं—वह दुनिया जो हमें इंसान बनाए रखती थी।







