
गोरखपुर में संविदा लाइनमैन गंभीर रूप से घायल: विभागीय लापरवाही से फिर उठा सुरक्षा पर सवाल –
गोरखपुर के सुमेर सागर इलाके में रविवार को एक दर्दनाक हादसा पेश आया, जिसने बिजली विभाग की कार्यशैली और संविदा कर्मियों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, आरडीएसएस (Revamped Distribution Sector Scheme) योजना के अंतर्गत तारों को बदलने का कार्य चल रहा था, इस दौरान बिजली की आपूर्ति पूरी तरह बंद न किए जाने के कारण संविदा लाइनमैन संजय कुमार करंट की चपेट में आ गए और गंभीर रूप से घायल हो गए।
घटना का विवरण:
संजय कुमार, जो अमरोहा जिले के निवासी हैं और गोरखपुर के शास्त्री चौक उपकेंद्र में संविदा के तौर पर तैनात हैं, रविवार को तार जोड़ने के लिए बिजली के खंभे पर चढ़े थे, जानकारी के अनुसार, एक फीडर को बंद किया गया था लेकिन दूसरा फीडर सक्रिय था, यह विभागीय समन्वय की चूक का उदाहरण माना जा रहा है।
काम करते समय संजय गलती से करंट युक्त केबल के संपर्क में आ गए और वहीं चिपक गए।
जान बचाने की कोशिश और गिरने की घटना:
खंभे पर चिपके संजय को देख मौके पर मौजूद एक अन्य लाइनमैन ने तत्परता दिखाई, उसने तुरंत शेष फीडर को शटडाउन कर बिजली आपूर्ति रोकी और सीढ़ी के सहारे ऊपर चढ़कर संजय को करंट से अलग किया, इसी दौरान संतुलन बिगड़ने से संजय नीचे गिर पड़े, इससे मौके पर भगदड़ मच गई।
स्थानीय प्रतिक्रिया और सोशल मीडिया प्रभाव:
घटना के चश्मदीद स्थानीय लोगों ने तुरंत वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया, वीडियो के प्रसार के साथ ही मामले ने तूल पकड़ लिया और विभाग पर सवाल उठने लगे हैं, लोगों ने संविदा कर्मियों की सुरक्षा के प्रति घोर उदासीनता को लेकर नाराजगी जताई है।
इलाज और स्थिति:
घायल संजय को तत्काल जिला अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों के मुताबिक उनकी स्थिति गंभीर है, अस्पताल में इलाज जारी है और चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया है।
बिजली विभाग की प्रतिक्रिया:
मीडिया द्वारा संपर्क किए जाने पर बिजली विभाग के इंजीनियर आशीष कुमार ने बताया:
“घटना की रिपोर्ट ठेकेदार से तलब की गई है, प्रथम दृष्टया लापरवाही सामने आई है, जांच के बाद जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी।”
संविदा कर्मियों की सुरक्षा पर सवाल:
यह कोई पहली घटना नहीं है जब संविदा पर कार्यरत लाइनमैन इस तरह लापरवाही की भेंट चढ़े हों, उन्हें न तो पूर्ण सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराए जाते हैं, न ही पर्याप्त प्रशिक्षण, साथ ही, बिना पूर्ण शटडाउन के विद्युत कार्य करवाना गंभीर नियम उल्लंघन है, जिससे जान का जोखिम लगातार बना रहता है।
निष्कर्ष:
यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि बिजली विभाग की लचर कार्यप्रणाली, ठेकेदारों की जवाबदेही में कमी और संविदा कर्मियों के साथ होने वाले असुरक्षित व्यवहार की एक चिंताजनक तस्वीर है। यदि जांच निष्पक्ष न हुई और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं की गई, तो ऐसे हादसे भविष्य में और भी जानलेवा साबित हो सकते हैं।