
महराजगंज में सिंचाई विभाग संयुक्त कर्मचारी संघ समिति उत्तर प्रदेश के सदस्यों ने बुधवार को जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री और सिंचाई मंत्री को ज्ञापन सौंपा, कर्मचारियों ने 14 मई 2025 को जारी शासनादेश को निरस्त करने की मांग की है।
इस शासनादेश में उपराजस्व अधिकारी, जिलेदार, मुंशी, हेड मुंशी, नलकूप चालक, सींचपाल और मिस्त्री-कम-ड्राइवर जैसे पदों को मृत घोषित किया गया है, कर्मचारियों का कहना है कि यह निर्णय किसान विरोधी है, यह विभागीय कार्यप्रणाली को भी प्रभावित करेगा।
16 मई को सभी मान्यता प्राप्त संगठनों ने मिलकर संघर्ष समिति का गठन किया, इसके बाद 20-21 मई को काला फीता विरोध प्रदर्शन किया गया, 28 मई को गेट मीटिंग के जरिए शांतिपूर्ण विरोध हुआ, लेकिन सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला।
कर्मचारियों का कहना है कि ये पद नहरों, लघु डाल नहरों और राजकीय नलकूपों के संचालन के लिए जरूरी हैं, इनकी समाप्ति से सिंचाई सेवाएं प्रभावित होंगी, यह फैसला किसानों पर सीधा असर डालेगा।
ज्ञापन सौंपने वालों में अध्यक्ष भागवत सिंह, उपराजस्व अधिकारी बृजेश यादव, सिंचाई संघ के अध्यक्ष विजय प्रताप सिंह, मंत्री शिवशंकर राय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष के. के. दुबे, पंकज सिंह, राजेन्द्र प्रताप, बसंत लाल श्रीवास्तव, रत्नाकर चौबे, रामकिशोर, रामचरण गुप्ता, रामप्रीत, नेहा तिवारी, शालिनी, जगदीश नारायण पटेल, संतोष यादव सहित अन्य पदाधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद रहे।
संघ ने सरकार से शीघ्र वार्ता कर समाधान निकालने की अपील की है और चेतावनी दी है कि अगर मांगे नहीं मानी गईं तो कर्मचारी “करो या मरो” के विकल्प पर मजबूर होंगे।