
नया फ़ैसला: सैफ अली खान की संपत्तियों पर MP HC ने ‘Enemy Property’ की मुहर :
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (जस्टिस संजय द्विवेदी की बेंच) ने ट्रायल कोर्ट (2000 का फैसला) को रद्द कर दिया है, जिसमें सैफ, उनकी बहनें (सोहा-सबा) और मां शर्मिला टैगोर को भोपाल की संपत्तियों का वारिस माना गया था।
क्या हुआ है, पूरा मामला पढ़िये…?
सैफ अली खान और उनके परिवार के पास भोपाल में बहुत पुरानी ज़मीन-जायदाद है, जो उनके पटौदी खानदान की विरासत है, इन संपत्तियों की कीमत करीब 15,000 करोड़ रुपये है।

15000 करोड़ की संपत्ति
लेकिन अब मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने कहा है:
“इन प्रॉपर्टियों पर सैफ और उनके परिवार का हक साफ नहीं है, मामला फिर से जांचा जाएगा।”
समस्या कैसे शुरू हुई?
- नवाब हमीदुल्लाह खान (सैफ के पूर्वज) की बेटी थी आबिदा सुल्तान, जो 1950 में पाकिस्तान चली गईं।
- सरकार ने कहा:
“अगर कोई भारतीय नागरिक पाकिस्तान चला जाए और वहां की नागरिकता ले ले, तो उसकी भारत की संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति (Enemy Property)’ मानी जाएगी।” - इसीलिए सरकार ने दावा किया:
“भोपाल की ये सारी संपत्तियाँ भारत सरकार की हैं, ना कि सैफ अली खान की।”
अब कोर्ट ने क्या कहा है…?
पहले (2000) में ट्रायल कोर्ट ने सैफ और उनके परिवार के पक्ष में फैसला दिया था।
अब हाईकोर्ट ने वह फैसला रद्द कर दिया और कहा:
“पूरा केस दोबारा चलेगा और अब तय होगा कि असली मालिक कौन है।”
Enemy Property Act क्या है…?
अगर कोई भारतीय, भारत छोड़कर दुश्मन देश (जैसे पाकिस्तान) चला जाता है और वहां की नागरिकता ले लेता है, तो भारत में उसकी संपत्ति को सरकार अपने कब्ज़े में ले लेती है।
इसे ही कहते हैं: “Enemy Property” (शत्रु संपत्ति)
आबिदा सुल्तान के पाकिस्तान जाने की वजह से सरकार ने सैफ की इन संपत्तियों को ‘Enemy Property’ मान लिया।
सैफ को क्या नुकसान हो सकता है?
अगर अदालत मान लेती है कि ये सारी संपत्तियाँ आबिदा सुल्तान से जुड़ी हैं, तो:
सैफ, उनकी मां (शर्मिला टैगोर), और बहनें (सोहा-सबा) कोई दावा नहीं कर पाएंगे।
सारी संपत्ति सरकार की हो जाएगी।
अब सैफ क्या कर सकते हैं?
- दुबारा कोर्ट में सबूत पेश करें कि प्रॉपर्टी आबिदा की नहीं बल्कि साजिदा सुल्तान (दूसरी बेटी) की है, जो भारत में रहीं।
- कोर्ट में यह साबित करना पड़ेगा कि: “हमारी प्रॉपर्टी पर सरकार का Enemy Property कानून लागू नहीं होता।”
कोर्ट ने क्या समय दिया है?
- ट्रायल कोर्ट को अब 1 साल के अंदर इस मामले की फिर से सुनवाई करनी होगी।
- सैफ के पास अब मजबूत सबूतों और दलीलों से लड़ने का आखिरी मौका है।