
कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह से भिड़ने वाले CMO डॉ. हरी दत्त नेमी को आखिरकार सस्पेंड कर दिया गया, यह मामला सीएम योगी तक पहुंचा था, इसके बाद एक्शन तय माना जा रहा था, CMO डॉ. हरी दत्त नेमी की जगह श्रावस्ती के CMO डॉ. उदयनाथ को कानपुर के सीएमओ की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
हरी दत्त नेमी को मुख्यालय से अटैच कर दिया गया है, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने डॉ. हरी दत्त नेमी के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश भी दिए हैं, CMO ने कहा था- यूपी के 75 जिलों में से यही एक ऐसा डीएम है, जो ढोल बजा रहा है, महिला कर्मचारी भी उनसे परेशान हैं, किसी दिन कोई महिला अपने ब्लाउज फाड़ेगी, तब पता लगेगा।
विभाग ने सस्पेंड करने के 3 कारण गिनाए-
- CMO ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के लेटर के आधार पर रिक्त पदों पर की जाने वाली भर्ती के लिए चयन प्रक्रिया के विपरीत पदों का विज्ञापन राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन यूपी की वेबसाइट पर नहीं किया।
- जिला स्वास्थ्य समिति और मुख्य विकास अधिकारी कानपुर नगर के स्पष्ट आदेश के बाद भी आयुष परीक्षा के बाद किए गए इंटरव्यू का परिणाम चार दिन में जारी नहीं किया, इंटरव्यू के परिणाम को काफी समय बाद स्वास्थ्य समित भेजा और स्वीकृति ली।
- वरिष्ठ वित्त एवं लेखाधिकारी को वित्तीय परीक्षण एवं पदेन कार्यों से मुक्त कर दिया, गैर वित्त सेवा के अधिकारी से उनका काम कराया।

5 फरवरी को सीएमओ कार्यालय पर डीएम ने छापा मारा था, तब सीएमओ समेत 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले थे।
चलिए आपको पूरा विवाद समझाते हैं :
यह विवाद 5 फरवरी, 2025 से शुरू हुआ, जब कानपुर डीएम जितेंद्र प्रताप सिंह ने सीएमओ ऑफिस में छापा मारा था, इस दौरान सीएमओ डॉ. हरी दत्त नेमी समेत 34 अधिकारी-कर्मचारी गैरहाजिर मिले थे, डीएम ने सीएमओ कार्यालय से ही एक वीडियो जारी किया, कहा- रजिस्टर में नाम लिखे हैं, लेकिन 34 अधिकारी-कर्मचारी ऑफिस में नहीं मिले, सभी का एक दिन का वेतन रोक दिया गया था।
इस एक्शन के बाद डीएम और सीएमओ के बीच खटास शुरू हुई, इससे पहले डीएम लगातार सीएचसी और पीएचसी पहुंचकर कमियां उजागर कर रहे थे, इस मामले ने तब और तूल पकड़ा, जब डीएम के कहने पर भी सीएमओ ने लापरवाह अधिकारी-कर्मचारियों पर कोई एक्शन नहीं लिया।
15 अप्रैल, 2025 को डीएम ने शासन को एक लेटर लिखा, इसमें कानपुर सीएमओ को हटाने के लिए कहा गया। एडमिनिस्ट्रेशन सोर्स के मुताबिक, 5 जून के बाद भी सीएमओ को हटाने के लिए शासन को लेटर लिखा गया, इस बीच सीएमओ भी अपना ट्रांसफर रुकवाने के लिए एक्टिव हो गए।

मेरे खिलाफ विभाग के ही तीन लोग डॉ. सुबोध यादव, डॉ आरएन सिंह और वित्त लेखा अधिकारी वंदना सिंह ही षड्यंत्र रच रहे हैं यही लोग डीएम साहब को गलत फीडिंग करते हैं।
डॉ. हरी दत्त नेमी
CMO कानपुर
सीएमओ सतीश महाना से मिले, तब मामला डिप्टी सीएम तक पहुंचा :-
यहीं से इस मामले में सियासत शुरू हुई, सीएमओ ने विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मुलाकात की, कहा-BJP सांसद, विधायकों के सुझाव मैंने हमेशा माने, मरीजों को अच्छा इलाज दिलाया, फिर भी मेरे ट्रांसफर की संस्तुति की गई है।
इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक को 11 जून को लेटर लिखा कि सीएमओ साहब का व्यवहार आम जनता को लेकर ठीक है, ऐसे में इनका ट्रांसफर रोकने पर विचार किया जा सकता है।
इसके बाद 2 और BJP विधायक सीएमओ के सपोर्ट में आ गए, उन्होंने भी डिप्टी सीएम को लेटर भेजे, MLC अरुण पाठक ने 14 जून और विधायक सुरेंद्र मैथानी ने 15 जून को लेटर लिखा।
BJP में दो फाड़ तब शुरू हुई, जब 16 जून को बिठूर विधानसभा से BJP विधायक अभिजीत सिंह ने सीएमओ को भ्रष्टाचारी बताते हुए सीधे मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया, फिर BJP विधायक महेश त्रिवेदी ने भी सीएमओ के खिलाफ लेटर लिख दिया।
इस सियासत के बीच सीएमओ के ड्राइवर सूरज का ऑडियो वायरल हुआ, ड्राइवर ने डीएम को भ्रष्टाचारी बताया, इसके बाद 13 जून को सीएमओ का एक और ऑडियो वायरल हुआ। इसमें सीएमओ ने कहा कि डीएम ढोल ज्यादा बजा रहा है, किसी दिन कोई महिला अधिकारी बदतमीजी कर देगी।
सीएमओ की 2 ऑडियो वायरल , इसे भी पढिए:-
ऑडियो-1
सीएमओः देखो ऐसा है 75 के 75 जिले में यही एक ऐसा, है जो ढोल बजा रहा है, दूसरा, मैंने आज तक ऐसा डीएम देखा ही नहीं जो किसी बात को इत्ती करके बोले।
व्यक्तिः हां, हां।
सीएमओः ये क्या है न, पहले ये मीडिया में रहा, मीडियावालों की आदत होती है। इतनी सी बात को इतनी करके बोलना। बिना वजह की बीच-बीच में कहानी सुनाना, ज्यादा बोलना, बोलता है कि नहीं बोलता।
व्यक्तिः हां, हां।
सीएमओः मीटिंग 20 मिनट की होती तो दो घंटे लगा देता है, दुनिया भर की कहानी, किस्से, जाने क्या-क्या सुना डालेगा।
व्यक्तिः हां-हां
सीएमओः अब तो मैं देख रहा हूं, जो महिलाएं हैं, वो चिड़चिड़ाने लगीं हैं, उनसे, कुछ भी बोल देता है, इससे उनकी इनसल्ट होती है।
व्यक्तिः हां-हां…
सीएमओः वो भिनभिनाती तो हैं, लेकिन बोल नहीं पाती हैं, समझ ये भी जाता है।
व्यक्तिः बहुत ड्रामा करता है।
सीएमओ: किसी दिन कोई महिला… (इसके बाद अभद्र भाषा का प्रयोग)
ऑडियो- 2
सीएमओः कुछ ऐसा मेरा हिसाब बनाओ जिससे मेरा मंथली हो जाए, जो मेरा एक क्लेश है, देखो मुझे 10 तो देना है ही निकालकर, कोई आप लोग जुगाड़ बताओ कैसे करूं।
साथ में बैठा व्यक्तिः सर, जुगाड़ नर्सिंग होम हैं, चलिए देखिए।
सीएमओः वो भी है, लेकिन वो तो अब शुरू हुआ है, अभी तक तो इधर-उधर लगे रहे, अब उधर भी दौड़ाऊंगा, रजिस्ट्रेशन वगैरह शुरू होता तो उधर से भी कुछ निकलेगा।