
इटावा : ब्राह्मण महिला टीचर की नौकरी गई, बेटी की पढ़ाई भी रुकी; धमकियों से डरी पीड़िता बोलीं- “इंसाफ चाहिए”
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के दांदरपुर गांव की रहने वाली रेनू दूबे नामक एक महिला शिक्षक को उनके स्कूल से नौकरी से निकाल दिया गया है, रेनू का कहना है कि उन्हें जातीय आधार पर धमकियां दी गईं और जब उन्होंने यह बात स्कूल प्रबंधन को बताई, तो उन्हें सहयोग देने की बजाय सेवा से हटा दिया गया।
रेनू की बेटी भी उसी स्कूल में पढ़ती थी, लेकिन अब उसकी पढ़ाई भी रुक गई है।
क्या है मामला…?
रेनू दूबे ने बताया कि 21 जून को उनके गांव दांदरपुर में एक कथावाचक के साथ मारपीट की घटना हुई थी, जिसका वीडियो 22 जून को वायरल हुआ, 23 जून को स्कूल के काम से जब रेनू खितौरा गांव पहुंचीं, तो वहां कुछ युवकों ने उनका नाम और गांव पूछने के बाद उन्हें धमकाया, उन्होंने कथित तौर पर कहा, “अगर हम तुम्हारी चोटी काट दें तो कैसा लगेगा?”
डरी-सहमी रेनू तुरंत घर लौट आईं, उन्होंने यह बात अपने स्कूल प्रबंधन को बताई, लेकिन उनका कहना है कि प्रबंधक ने उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया और उन्हें नौकरी से हटा दिया।
पारिवारिक और आर्थिक संकट :
रेनू का कहना है कि वह विधवा हैं और घर का खर्च अकेले चला रही थीं, अब नौकरी जाने के बाद उनका परिवार आर्थिक संकट में आ गया है, बेटी की पढ़ाई भी रुक गई है, जो कि उसी स्कूल में पढ़ती थी।

21 जून की घटना के बाद दादरपुर गांव में पीएसी तैनात है, कुछ जवान टीचर के घर के बाहर पेड़ के नीचे बैठे हैं।
फिलहाल, रेनू के घर के बाहर सुरक्षा के लिए PAC की तैनाती कर दी गई है, उन्होंने अभी तक पुलिस में कोई औपचारिक शिकायत नहीं की है, लेकिन मीडिया से बात करते हुए कहा, “मैं सिर्फ एक शिक्षिका हूं, किसी विवाद से मेरा कोई लेना-देना नहीं है, मुझे मेरी नौकरी वापस चाहिए, ताकि मैं अपनी बेटी को पढ़ा सकूं और परिवार चला सकूं।”
प्रशासन की कार्रवाई :
उधर कथावाचक की पिटाई और उसके बाद सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट मामले में पुलिस ने अब तक 10 लोगों को गिरफ्तार किया है, इनके खिलाफ आईटी एक्ट की धारा 67-A के तहत कार्रवाई की गई है।
एसएसपी ब्रजेश श्रीवास्तव ने कहा है कि सोशल मीडिया पर नजर रखी जा रही है और माहौल बिगाड़ने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
रेनू दूबे की अपील: “मुझे सिर्फ मेरा हक चाहिए”
यह मामला न सिर्फ जातीय सद्भावना पर चोट है, बल्कि महिला सुरक्षा, शिक्षा और रोजगार जैसे बुनियादी मुद्दों पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है, रेनू की मांग है कि उन्हें इंसाफ मिले और दोबारा नौकरी दी जाए।