
संभल के बाद अब फतेहपुर में भी मंदिर-मस्जिद विवाद की आग भड़क गई। सोमवार सुबह करीब 10 बजे बजरंग दल, हिंदू महासभा समेत कई हिंदू संगठनों के करीब दो हजार कार्यकर्ता ईदगाह परिसर में बने एक पुराने मकबरे पर पहुंच गए।
पुलिस ने पहले से चारों ओर बैरिकेडिंग की थी, लेकिन लाठी-डंडे से लैस भीड़ ने मकबरे को मंदिर बताते हुए तोड़फोड़ शुरू कर दी। कुछ लोग छत पर चढ़ गए और भगवा झंडा फहरा दिया। हिंदू महासभा के नेता मनोज त्रिवेदी भीड़ के साथ अंदर पहुंचे और पूजा-पाठ करने लगे।
इधर, भगवा झंडा और पूजा-पाठ देखकर मुस्लिम समुदाय के करीब डेढ़ हजार लोग ईदगाह पहुंच गए, दोनों पक्षों में जमकर पथराव हुआ, हालात बिगड़ते देख पुलिस ने लाठियां भांजकर भीड़ को खदेड़ा और 10 थानों की फोर्स मौके पर बुलाई।
हंगामे और विवाद की कुछ तस्वीरें :


हिंदू महासभा के प्रांत उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी ने मकबरे के अंदर पूजा पाठ किया।

हिंदू संगठन के कार्यकर्ताओं ने मकबरे में बनी मजार में तोड़फोड़ की।

फतेहपुर के आबूनगर इलाके में इदगाह परिसर में नवाब अब्दुल समद का मकबरा है, यह 200 साल पुराना है, हिंदू संगठन इसमें ठाकुरजी का मंदिर होने का दावा कर रहे हैं।

पूजा पाठ करने के बाद हिंदू महासभा के प्रांत उपाध्यक्ष मनोज त्रिवेदी ने शंखनाद किया।
इसके बाद हिंदू संगठन के सैकड़ों कार्यकर्ता 500 मीटर दूर डाक बंगला चौराहे पर बैठ गए, सड़क जाम कर दी और हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया।
स्थिति पर काबू पाने के लिए बड़े अधिकारी मौके पर
बवाल की खबर मिलते ही प्रयागराज जोन के एडीजी संजीव गुप्ता पहुंचे, फ्लैग मार्च किया गया और ड्रोन से निगरानी शुरू कर दी गई। एडीजी के आदेश पर 6 जिलों — चित्रकूट, बांदा, हमीरपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़ और कानपुर देहात — से एएसपी को फतेहपुर भेजा गया।
एसपी अनूप सिंह का बयान :
“फोर्स पहले से तैनात थी, लेकिन कुछ अराजक तत्व अंदर घुस आए जिन्हें खदेड़ दिया गया। मौके पर सिर्फ पुलिसकर्मी मौजूद हैं। झंडा हटा दिया गया है और सभी को वापस भेज दिया गया है।”
शहर काजी की अपील :
शहर काजी सईदुल इस्लाम अब्दुल्ला ने मुस्लिम समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए कहा— “इन लोगों ने अमन-चैन बिगाड़ने की कोशिश की, लेकिन हमें शांत रहना है। प्रशासन अपना काम करेगा।”
विवाद की पृष्ठभूमि :
फतेहपुर के आबूनगर इलाके में ईदगाह के भीतर करीब 200 साल पुराना नवाब अब्दुल समद का मकबरा है। 4 दिन पहले मठ मंदिर संघर्ष समिति ने डीएम रवींद्र सिंह को ज्ञापन देकर दावा किया था कि यह मकबरा नहीं, बल्कि ठाकुर जी का मंदिर है और कब्जा हटाकर जन्माष्टमी मनाई जाएगी।
रविवार को डीएम और एसपी ने मौके का मुआयना भी किया था और सुबह से फोर्स तैनात कर दी गई थी। बावजूद इसके, सोमवार को बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं ने पुलिस को शुरुआती वक्त में चौंका दिया। मकबरे को मंदिर बताने का दावा यहीं पहली बार सामने आया है।