
आजमगढ़ ;
बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा विद्यालयों के विलय के मानकों में बदलाव के बाद आजमगढ़ जिले के 81 विद्यालयों को बड़ी राहत मिली है। इससे न केवल छात्र-छात्राओं और अभिभावकों ने राहत की सांस ली है, बल्कि विलय के खिलाफ आंदोलन कर रहे शिक्षकों ने इसे अपनी जीत बताया है।
उनका कहना है कि शेष सभी विद्यालयों का भी विलय रद्द किया जाए।
विलय की पृष्ठभूमि :
प्रदेश सरकार ने पहले 50 से कम बच्चों वाले प्राइमरी और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को दो किलोमीटर की सीमा में आने वाले स्कूलों में विलय करने का आदेश दिया था, इस आधार पर जिले में 234 विद्यालय प्रभावित हुए थे।
लेकिन इस निर्णय का छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों और राजनीतिक दलों ने व्यापक विरोध किया, विरोध के बाद शासन ने पुनर्विचार करते हुए दूरी का मानक घटाकर एक किलोमीटर कर दिया है।
किसे मिला लाभ :
इस नए फैसले से 1 से 2 किलोमीटर की दूरी वाले वे विद्यालय जो पहले विलय के दायरे में थे, अब अपने पुराने भवनों में फिर से संचालित किए जा सकेंगे।
गांवों में अभिभावकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने इस फैसले पर संतोष व्यक्त किया है।
शिक्षक संघ का विरोध जारी :
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष सुरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा:
> “हम शुरू से ही विलय के विरोध में हैं और आज भी हैं, सरकार को चाहिए कि वह स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाए और शिक्षकों से केवल पढ़ाई संबंधित कार्य ही कराए।
> जब शिक्षक के पास पर्याप्त समय होगा, तो सरकारी स्कूलों की गुणवत्ता प्राइवेट स्कूलों से कहीं बेहतर हो सकती है।”
अब क्या स्थिति है :
बीएसए राजीव कुमार पाठक ने बताया:
> “शासन के निर्देश पर पहले 234 विद्यालयों का समायोजन किया गया था।
> अब नई गाइडलाइन के तहत 81 स्कूल इस दायरे से बाहर कर दिए गए हैं।
> ये सभी स्कूल अब अपने मूल भवनों में संचालित होंगे।”