
राहुल-अखिलेश की नजदीकी ने दिया 2027 का संदेश, संसद में दिखी जुगलबंदी, यूपी में गठबंधन पर उठे सवालों को मिला जवाब :
कुछ दिन पहले तक तीखे बयानों के जरिए एक-दूसरे पर निशाना साधने वाली कांग्रेस और समाजवादी पार्टी अब एक मंच पर दिखाई दे रही हैं, संसद के मानसून सत्र में दोनों दलों के नेताओं की अभूतपूर्व एकजुटता ने राजनीतिक हलकों का ध्यान खींचा है, राहुल गांधी केंद्र सरकार पर आक्रामक तेवर अपनाए हुए हैं, वहीं अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के मुद्दों को प्रमुखता से उठा रहे हैं।

अखिलेश यादव ने सोमवार को संसद में खड़गे जी से गले मिलकर जन्मदिन की बधाई दी थी
दोनों दलों के नेता संसद में कंधे से कंधा मिलाकर विपक्षी एकता का संदेश दे रहे हैं, इसे उस बहस के जवाब के तौर पर भी देखा जा रहा है, जो गठबंधन के भीतर इसे लेकर समय-समय पर उठती रही है — खासतौर पर इमरान मसूद जैसे नेताओं के बयानों के बाद।
21 जुलाई को मानसून सत्र के पहले दिन अखिलेश यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को गर्मजोशी से जन्मदिन की बधाई दी, फोटो सेशन और खुली बातचीत ने दोनों दलों की रणनीतिक और व्यक्तिगत निकटता को रेखांकित किया, अगले ही दिन, राहुल गांधी और अखिलेश यादव संसद के मकर द्वार पर एक साथ नजर आए — यह दृश्य प्रतीक था एक मजबूत राजनीतिक साझेदारी का।

राहुल गांधी और अखिलेश यादव एक साथ नज़र आए
बिहार की मतदाता सूची की समीक्षा के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग को आड़े हाथों लिया और उत्तर प्रदेश को भी इससे जोड़ते हुए उपचुनावों में कथित धांधलियों और प्रशासनिक हस्तक्षेप के गंभीर आरोप लगाए, कुंदरकी, मीरापुर और मिल्कीपुर उपचुनावों का हवाला देते हुए उन्होंने वोट लूट की बात कही।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह सार्वजनिक प्रदर्शन सिर्फ संसद की कार्यवाही नहीं, बल्कि 2027 के विधानसभा चुनावों की गहन तैयारी का संकेत है, गठबंधन को लेकर जो शंकाएं उठी थीं, यह एकजुटता उनका सीधा जवाब बनकर सामने आई है।
अब देखना यह है कि यह मेल-मिलाप कितना स्थायी है, और क्या यह वास्तव में उत्तर प्रदेश की राजनीति का समीकरण बदल पाएगा।